जैव प्रबलीकरण क्या है?जैव प्रबलीकरण क्या है?

Boost Crop Nutrients with Biofortification – Enhancing Crop Health

फसलों में पोषक मान बढ़ाने के उद्देश्य से किया जाने वाला पादप प्रजनन जैव संपुष्टीकरण या जैव पुष्टिकरण कहलाता है। यह प्रक्रिया परंपरागत चयनात्मक विधि द्वारा पौधों में प्रजनन कराकर या अनुवांशिक इंजीनियरिंग द्वारा संपन्न कराई जा सकती है।

जैव पुष्टिकरण
जैव पुष्टिकरण

जैव संपुष्टीकरण सामान्य संपुष्टीकरण से निम्न प्रकार से भिन्न होता है-

  1. यह पौधों को केवल उगाने में ही नहीं बल्कि उन्हें और अधिक पौष्टिक बनाने के लिए केंद्रित होता है जबकि वर्तमान समय में खाद्य (food) को संसाधित करते समय पोषक तत्वों को सम्मिलित किया जाता है।
  2. यह सामान्य संतुष्टीकरण में सुधार की प्रक्रिया है जिसके द्वारा गरीब ग्रामीणों को जिनके पास व्यवसायिक रूप से संतुष्ट खाद्य पदार्थ उपलब्ध नहीं होता है उन्हें पोषक तत्व प्रदान करने का प्रयास किया जाता है।
  3. विकासशील देशों में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी से होने वाले रोग से निजात पाने के लिए जा संपत्ति कारण को एक आगामी रणनीति के रूप में देखा जा रहा है जैसा लौह तत्व के मामले में WHO (World health organisation) ने अनुमान लगाया है कि जब संतुष्टीकरण लगभग दो अब लोगों को जो लौह तत्व की कमी से होने वाले एनीमिया से पीड़ित है इलाज करने में मदद करता है।

जैव संपुष्टीकरण की क्रियाविधि-

पौधों में दो मुख्य विधियों में से एक का उपयोग कर प्रजनन किया जाता है –

1.चयनात्मक प्रजनन-

इस विधि के उपयोग से प्रजनन करने वाले वैज्ञानिक मौजूद पौधों की किस्म में से प्राकृतिक रूप से उच्च पोषक तत्वों वाले बीजों या जन्मोत्सव की पहचान करते हैं फिर वह इन जातियों का संकरण उच्च पैदावार वाली किस्म के पौधों से करते हैं जिससे उच्च पोषक तत्व वाले बीजों की अधिक पैदावार प्राप्त की जा सके।

2.अनुवांशिक रूपांतरण (Genetic Modification) –

सुनहरा चावल (Golden Rice) अनुवांशिक रूप से रूपांतरित फसल का उदाहरण है जिसे इसके उच्च पोषक तत्वों की उपस्थिति के कारण विकसित किया गया सुनहरे चावल की नवीनतम फसलों में मृदा में सम्मानित रूप से पाए जाने वाले जीवाणु ‘इर्विनिया’ तथा मक्का जींस पाए जाते हैं और इसमें बीटा कैरोटीन की बड़ी हुई मात्रा भी पाई जाती है जिससे शरीर द्वारा विटामिन ‘ए’ में परिवर्तित किया जा सकता है सुनहरे चावल को विटामिन ‘ए’ की कमी को पूरा करने के समाधान के रूप में विकसित किया गया है।

जैव संपुष्टीकरण के उपयोग-

विश्व में अनेक विकासशील देशों में सूक्ष्म पोषक तत्व जैसे विटामिन ‘ए‘, जस्ता, व लौहा आदि की कमी से लाखों करोड़ों लोग प्रभावित हैं। इस कमी के कारण लोगों में अंधापन कमजोर प्रतिरोधक क्षमता, वृद्धि में कमी तथा कमजोर संज्ञानात्मक विकास हो सकता है। गरीब लोग, विशेष रूप से गरीब ग्रामीण लोग चावल, गेहूं व मक्का जैसी फसलों पर निर्भर रहते हैं जिम अशोक सिंह पोषक तत्व कम मात्रा में उपलब्ध होते हैं और अधिकतर लोग पोषक तत्वों से भरपूर फल सब्जी एवं मांसाहारी उत्पादों को वहां नहीं कर पाते और ना उनकी खेती कर पाते हैं।

इन प्रधान फसलों में सूक्ष्म पोषक तत्वों के स्तर को बढ़ाकर उनकी कमी से होने वाले रोगों से लोगों को बचाया जा सकता है।
जो संपुष्टीकरण द्वारा मानव स्वास्थ्य तथा पोषण को सुधारने का प्रयास निरंतर जारी है। हार्वेस्ट प्लस तथा उनके सहयोगियों ने 2003 में यह प्रदर्शित किया है कि पौधों के प्रजनन द्वारा विविध आहार में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी को पूरा किया जा सकता है। विकासशील देशों में 20 लाख से अधिक लोग जैव संपुष्टि फसलों की खेती से लाभ प्राप्त कर रहे हैं।

जैवसंपुष्टीकरण द्वारा पौधों में निम्न पोषक तत्वों की गुणवत्ता व मात्रा को बढ़ाने का उद्देश्य स्थापित किया गया है-

  1. वसा या तेल की मात्रा व गुणवत्ता
  2. प्रोटीन की मात्रा व गुणवत्ता
  3. विटामिन की मात्रा
  4. सूक्ष्म पोषक तत्व व खनिजों की मात्रा
जैव संपुष्टीकरण

जैव संपुष्टीकरण के सफल उदाहरण-

  1. भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) नई दिल्ली ने सब्जियों की ऐसी अनेक किस्म का निर्माण किया है जिसमें विटामिन तथा खनिज पदार्थ भरपूर मात्रा में उपलब्ध है। इन ए विटामिन ‘ए’ से समृद्ध गाजर, पालक को कद्दू; विटामिन सी से संबंधित करेला बथुआ व टमाटर; लौह वह कैल्शियम से समृद्ध बालक और बथुआ तथा प्रोटीन से समृद्ध ब्रांड बीन्स, लेबलेब, व मटर सम्मिलित है।
  2. उच्च प्रोटीन युक्त गेहूं की किस्म “एटलस 66” का उपयोग कृषि गेहूं की उन्नतशील किस में तैयार करने में दाता के रूप में किया गया है।
  3. जैव संपुष्टीकरण द्वारा लौह तत्व से समृद्ध धान की ऐसी किस्म विकसित करना संभव हो पाया है जिसमें सामान्य धान में उपस्थित लौह तत्वों की अपेक्षा 5 गुना अधिक लौह तत्व पाया जाता है।
  4. मक्का की ऐसी शंकर किस्म का विकास किया गया है जिसमें अनेक महत्वपूर्ण अमीनो अम्ल जैसे लाइसिन ट्रिप्टोफैनकी मात्रा मक्का की पहले से उपलब्ध किस्म में उपलब्ध अमीनो अम्लों की मात्रा की दुगनी थी।

अगर आपको इस लेख में दी गयी जानकारी अच्छी लगी हो तो कमेंट करके हमें जरुर बताये और इसे अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर भी शेयर करें.

यह भी पढ़ें-world-tb-day-2024-टी-बी-क्या-है-लक्षण-कारण

Apple iOS 17.4.1 अपडेट क्या है ? New फीचर होंगे शामिल….

3 thoughts on “Bioforification 12th Class -जैव संपुष्टीकरण अथवा जैव प्रबलीकरण क्या है?”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You missed