swati maliwal ; आम आदमी पार्टी खारिज कर सकती है राज्यसभा से मालीवाल की सदस्यता ? अगर मालीवाल को आम आदमी पार्टी से निलंबित या बर्खास्त कर दिया जाता है तो ऐसे में क्या वह बनी रहेगी राज्यसभा सांसद? जानने के लिए पूरा पढ़े |
swati maliwal की राज्यसभा की सदस्यता
अगर स्वाति मालीवाल खुद कोई दूसरी पार्टी जॉइन कर लेती है तो क्या असर पड़ेगा उनके संसदीय सीट पर? AAP से राज्य सभा सांसद स्वाति मालीवाल से AAP विवाद के बीच लोग उनसे तमाम सवाल के जवाब जानना चाहते हैं यह सवाल इसलिए भी अहम है क्योंकि सी एम अरविंद केजरीवाल के लिए विभव कुमार पर स्वाति मालीवाल ने कथित तौर पर जो मारपीट का आरोप लगाया है उसके बाद से आम आदमी पार्टी और स्वाति मालीवाल के रिश्ते काफी बिगड़ चुके हैं |
इसलिए स्वाति को लेकर आम आदमी पार्टी का अब अगला कदम क्या होगा और स्वाति मालीवाल अब आगे क्या करने वाली है इसको लेकर तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे हैं बता दें कि स्वाति मालीवाल के इसी साल 19 जनवरी 2024 को आम आदमी पार्टी की तरफ से राज्यसभा के लिए नॉमिनेट की गई थी लेकिन विभव कुमार विवाद के बाद से यह चर्चा आम है की स्वाति मालीवाल अपनी भाजपा या किसी दूसरी पार्टी का दामन थाम सकती हैं इसके पीछे वजह यह है कि विवाद के बाद
से ही भाजपा स्वाति मालीवाल के पक्ष में उतर गयी है ऐसे में सवाल उठता है कि कोई दूसरी पार्टी ज्वाइन करने पर या आम आदमी पार्टी से निलंबित या बर्खास्त किए जाने की स्थिति में स्वाति मालीवाल की राज्यसभा सदस्यता बची रहेगी या खत्म हो जाएगी
इस बारे में क्या कहता है कानून? कानून के नजरिए से चुने हुए जनप्रतिनिधियों को लेकर संविधान की दसवीं अनुसूची में चर्चा की गई है जिसके मुताबिक एक जनप्रतिनिधि को केवल दो परिस्थितियों में अयोग्य करार दिया जा सकता है ;
1— अगर वह स्वेच्छा से अपना पद छोड़ दे या इस्तीफा दे |
2—- कोई सदस्य अगर सदन में पार्टी के निर्देश के खिलाफ जाकर वोटिंग करता है या फिर मतदान से नदारद रहता है तब उसकी सदस्यता जा सकती है|
इस लिहाज से देखे तो आम आदमी पार्टी स्वाति मालीवाल को पार्टी से निलंबित कर भी देती है तो भी वह राज्यसभा में पार्टी की सांसद तब तक बनी रहेगी जब तक जब तक की सदन में वह आम आदमी पार्टी के निर्देशों का पालन करती रहेगी लेकिन निलंबन ना करके अगर आम आदमी पार्टी उन्हें पार्टी से ही बर्खास्त कर देती है तो ऐसे में स्वाति मालीवाल स्वत: ही सदन में निर्दलीय सांसद बन जाएगी जिसके बाद वह सदन में आम आदमी पार्टी के किसी भी निर्देश को मानने के लिए बाध्य नहीं रहेगी हालांकि
इसके अलावा भी सदन के किसी सदस्य को तब आयोग्य करार दिया जा सकता है जब वह स्वत: ही अपनी पार्टी से इस्तीफा दे दे या फिर वह पार्टी की ओर से जारी किसी निर्देश का उल्लंघन करते हुए पार्टी लाइन के खिलाफ जाकर सदन में वोटिंग करें या वोटिंग से अनुपस्थित रहे ऐसी स्थिति में भी उसकी सदस्यता खत्म की जा सकती है |
लेकिन इसके लिए पार्टी को अपने उस सदस्य के खिलाफ 15 दिनों के भीतर औपचारिक तौर पर शिकायत करनी होती है इसके साथ ही संवैधान की दसवीं अनुसूची मैं दलबदल कानून के आधार पर भी सदन के किसी नामित सदस्य को कुछ खास परिस्थितियों में आयोग ठहरने का प्रावधान है
जिसके मुताबिक अगर कोई सदस्य किसी दल की ओर से निर्वाचित हुआ है तो वह किसी दूसरे दल में शामिल होने के साथ अपनी सदस्यता गंवा देगा इस लिहाज से स्वाति मालीवाल को अगर आम आदमी पार्टी बर्खास्त कर देती है तो भी स्वाति तब तक सांसद बनी रहेगी जब तक कि वह दूसरे दल को ज्वाइन नहीं करती है |
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