टीवी जिसे ट्यूबरक्लोसिस/क्षय रोग अथवा तपेदिक भी कहा जाता है। टीवी एक संक्रामक रोग है जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है यह जीवाणु जनित रोग है जो माइक्रोबैक्टेरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक बैक्टीरिया से होता है। यह रोग शरीर के विभिन्न भागों में होता है परंतु इस रोग से सबसे ज्यादा फेफड़ा प्रभावित होता है। इस रोग में मनुष्य के शरीर का तापमान उच्च रहता है और पीड़ित व्यक्ति के सीने में दर्द बना रहता है तथा खूनी खांसी भी होती है और व्यक्ति थका हुआ और कमजोर महसूस करता है।
टीवी रोग उन लोगों में ज्यादातर होता है जो एड्स या डायबिटीज के मरीज होते हैं अथवा जिनकी इम्यून सिस्टम बहुत ही कमजोर होती है। Tuberculosis: (टीबी) कमजाेर इम्यूनिटी वाले लाेगाें में ज्यादा देखने काे मिलती है। इसका बैक्टीरिया कमजाेर इम्यूनिटी के लाेगाें काे अपनी चपेट में जल्दी ले लेती है।
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के मुताबिक, पूरी दुनिया के अनुमानित मामलों के एक चौथाई से ज्यादा मरीजों के साथ भारत टीबी रोगियों के मामले में पहले स्थान पर है। हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो इस बीमारी से बचने के लिए इम्यूनिटी काे मजबूत बनाना बहुत जरूरी है।
टी.बी. के 5 सबसे बड़े लक्षण..
मनुष्य में टीवी का संक्रमण तब होता है जब मनुष्य का इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है और टीवी रोग के लक्षण प्रकट होने लगते हैं इनमें से कुछ मुख्य लक्षण निम्न हैं–
- खांसी के साथ खून आना-गर व्यक्ति को खसते टाइम उसकी बलगम अथवा लार के साथ खून आता है तो उसे खांसी हो सकती है।
- .सांस लेने में परेशानी-चूंकि टीवी रोग में फेफड़ा अत्यधिक प्रभावित होता है इसलिए टीवी की मरीज को सांस लेने में काफी दिक्कत होती है।
- कमजोरी और थकान-टीवी से संक्रमित व्यक्ति व्यक्ति का शरीर कमजोर होने लगता है और उसे थकान महसूस होने लगती है या टीवी का मुख्य लक्षण है।
- लगातार दो हफ्तों से अधिक खांसी-अगर किसी व्यक्ति को लगातार 15 से 20 दिनों तक खांसी आती है तो उसे टीवी हो सकता है। इसलिए उसे टीवी की जांच करवानी चाहिए।
- पसीना आना-टीवी के मरीज के शरीर का तापमान उच्च रहता है जिससे उसे रात के समय पसीना भी आता है।
- उच्च तापमान तथा बुखार-टीवी के मरीज के शरीर का तापमान उच्च होता है तथा रोगी को रात के समय बुखार और पसीना आता है।
कैसे होता है टी.बी. का संक्रमण ?
टी. बी. का संक्रमण तब फैलता है जब टी.बी. का जीवाणु मनुष्य के फेफड़ों में पहुंच जाता है जहां वह एंडोसोम पर आक्रमण करते हैं और उनके प्रतिरूप बनाते हैं। फेफड़े का टीवी अथवा क्षय रोग रक्त प्रवाह से संक्रमण के माध्यम से भी हो सकता है।
यदि टीवी के जीवाणु क्षतिग्रस्त ऊतकों के क्षेत्र में कौन-कौन प्रवेश कर जाते हैं तो वे पूरे शरीर में फैल सकते हैं और संक्रमण के अनेक केंद्र बना लेते हैं यह सभी ऊतकों में छोटे सफेद टूबरकल के रूप में दिखाई देते हैं। यह रोग टीवी का गंभीर रूप है जो छोटे बच्चों में और एचआईवी से पीड़ित वायक्तियों में होता है।
टीवी से कैसे बचें –
- स्वच्छता और सफाई-हाथों को स्वच्छ रखने से और समय-समय पर हाथ धोना भी टीवी जैसे बीमारियों को फैलने से बचाता है।
- वैक्सीनेशन-टीवी एक घातक बीमारी के रूप में जाना जाता है इसलिए इसका समय-समय पर वैक्सीनेशन होना चाहिए जिससे टीवी फैलने का खतरा कम रहे।
- डॉक्टर से सलाह-टीवी के लक्षण दिखाई देने पर बिना देरी किए डॉक्टर की परामर्श लेकर इलाज करवाना चाहिए।
- पोष्टिक आहार-टीवी के मरीज को भोजन में सावधानी बरतनी चाहिए उसे पोस्टिक और उपयुक्त भोजन ही खाना चाहिए।
- योग और प्राणायाम-टीवी के मरीज को योग और प्राणायाम करना चाहिए ऐसा करने से उसका इम्यून सिस्टम बेहतर होता है और टीवी जैसे लोगों से लड़ने के लिए शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है।
विशेष नोट-
माइकोबैक्टीरियम तपेदिक बैसिलस रॉबर्ट कॉख द्वारा 24 मार्च 1882 को पहचाना और वर्णित किया गया था। उनकी इस खोज के लिये उनको 1905 में फिजियोलॉजी या चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार दिया गया था।
T.B. का उपचार-
टीवी एक खतरनाक बीमारी है अगर समय रहते इसका इलाज नहीं किया गया तो यह अंत में मृत्यु द्वारा तक ले जाती है। इसलिए टीवी से बचने के लिए समय-समय पर वैक्सीनेशन करवाना चाहिए, स्वच्छता और सफाई पर विशेष धध्यान देना चाहिए, टीवी का कोई भी लक्षण दिखाई देने पर डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए, टीवी से ग्रसित मरीज को पौष्टिक आहार लेना चाहिए तथा योग और प्राणायाम करना चाहिए जिसकी उसकी प्रतिरक्षा तंत्र मजबूत बने।
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